केंद्रीय बजट 2022 से क्लियर हो गया है कि डिजिटल करेंसीज़ पर टैक्स कैसे और कितना लगाया जाएगा. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पढ़ते हुए क्रिप्टोकरेंसी निवेशकों के लिए एक नए टैक्स की अनाउंसमेंट की।
केंद्रीय बजट 2022 में ऐलान किया गया है कि किसी भी वर्चुअल या क्रिप्टोकरेंसी संपत्ति के ट्रांसफर पर 30 परसेंट टैक्स लगाया जाएगा. वित्त मंत्री ने बजट 2022 में कहा कि अधिग्रहण की कॉस्ट को छोड़कर किसी भी तरह की कटौती की परमिशन नहीं दी जाएगी और ट्रेडिंग में किसी भी नुकसान को कैरी-फॉरवर्ड करने की परमिशन नहीं दी जाएगी.
बजट के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस से बात करते हुए वित्त मंत्री ने क्रिप्टोकरेंसी और इस पर टैक्स को लेकर बातें कुछ और साफ कीं. उन्होंने बताया कि कोई भी करेंसी मान्य नहीं है, जब तक कि उसे भारतीय सेंट्रल बैंक ने इशू नहीं किया हो. सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी डिजिटल हैं, वे करेंसी नहीं हैं.
इस टैक्स से सरकार कर पाएगी अच्छे से देखरेख
इस पर अमित सिंघानिया(शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के पार्टनर) ने कहा कि डिजिटल करेंसीज़ पर टैक्स से स्थिति कुछ साफ हुई है.पहली बार देखने में ये लगता है कि डिजिटल करेंसीज़ पर ग्रॉस आधार (Gross Basis) पर 30 परसेंट सीधा टैक्स लगाया जाएगा. सिंघानिया ने खा कि इसके अलावा, एक निश्चित लिमिट से अधिक लेनदेन के लिए 1 प्रतिशत की दर से क्रिप्टो ऐसेट के ट्रांसफर के लिए टीडीएस टैक्स भी लगाया जाएगा. वित्त मंत्री ने यह भी ऐलान किया कि क्रिप्टो को गिफ्ट के रूप में हासिल करने वाले को भी टैक्स देना होगा. सिंघानिया ने कहा, “क्रिप्टो-ट्रांसफर पर टीडीएस की शुरूआत सरकार को क्रिप्टो ट्रेडिंग की बेहतर देखरेख करने में सक्षम बनाएगी.”
क्रिप्टो एक्सचेंज के लिए भी मौका
WazirX के सीईओ निश्चल शेट्टी ने बताया, “टैक्स की क्लेअरटी एक स्वागत करने योग्य स्टेप है. कुल मिलाकर यह देखना एक बड़ी अच्छी बात है कि हमारी गोवनमेंट इनोवेशन की डायरेक्शन में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मक रुख अपना रही है. टैक्सेशन लाकर, सरकार काफी हद तक क्रिप्टो इंडस्ट्री को वैध बनाती है. बहुत से लोग, विशेष रूप से कॉर्पोरेट, जो अनिश्चितताओं के कारण इससे दूर हैं, वे अब क्रिप्टो में पार्टिसिपेट कर सकेंगे. कुल मिलाकर, यह क्रिप्टो इंडस्ट्री के लिए एक सकारात्मक स्टेप है.”
क्रिप्टो पर टैक्स काफी ज्यादा लेकिन सकारात्मक रुख
जेबपे(ZebPay) के सीईओ अविनाश शेखर ने बताया, “वर्चुअल डिजिटल ऐसेट्स पर टैक्स लगाने से इन्वेस्टर और एक्सचेंजों समेत पूरे इको-सिस्टम को आगे की राह दिखने लगी है. हालांकि, वर्चुअल डिजिटल ऐसेट्स से आय पर 30 % कर बहुत ज्यादा है, लेकिन यह एक जरूरी कदम है, क्योंकि यह क्रिप्टो को मान्य बनाता है और देश में सभी क्रिप्टो इन्वेस्टरों और एनएफटी की स्वीकृति के लिए एक आशावादी रुख का संकेत देता है. सरकार ने पिछले फरवरी से आज तक क्रिप्टो के लिए अपने रुख में एक लंबी जर्नी तय की है और हमें भरोसा है कि यह वेब 3.0 वेब में भारत के लिए विकास और इनोवेशन के एक नए समय की शुरुआत करेगा.”
पिछले 3 महीनों से क्रिप्टोकरेंसी को लेकर इन्वेस्टर और एक्सचेंज असंजस में थे कि सरकार इस पर क्या करवाई करेगी. सरकार ने इसे कण्ट्रोल करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. बता दें कि डिजिटल करेंसी ने पिछले कुछ सालों में भारत में काफी लोकप्रियता हासिल की है. 10 करोड़ से अधिक क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टर्स के साथ, भारत पहले स्थान पर है।
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