रूस को अधिकतर साइबर क्राइम और क्रिप्टो हैक से जोड़ा जाता है, और यह साबित क्रिप्टोकरेंसी ट्रैकिंग और एनालिटिक्स फर्म Chainalysis के लेटेस्ट डेटा से भी काफी हद तक होता है, डाटा में पाया गया है की 2021 में रैंसमवेय वायरस के जरिए क्रिप्टोकरेंसी में $400 मिलियन से अधिक की हैकिंग रूस से जुड़े अकाउंट से संबंधित हैं। 2022 की क्रिप्टो क्राइम स्टडी Chainalysis द्वारा कई सारी कंपनियों पर फोकस करती है, जो रूस की कैपिटल मॉस्को में स्थित हैं।
रिपोर्ट में बताया है कि किसी भी तिमाही में, "अवैध और रिस्की" ब्लॉकचैन एड्रेस इन क्रिप्टोकरेंसी बिजनेस द्वारा मिले सभी फंड्स का 29 परसेंट से 48 परसेंट हिस्सा रखते हैं। फर्म का कहना है कि सही क्रिप्टो ट्रेडिंग समेत एक तिमाही में कुल ट्रैफिक कभी-कभी लगभग 7,510 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है।
चैनलिसिस ने एक पोस्ट में कहा, "न केवल रैंसमवेयर फंड्स, बल्कि साइबर अपराध के दूसरे तरीकों से जुड़े फंड्स की बड़ी मात्रा में क्रिप्टोकरेंसी पर बेस्ड मनी लॉन्ड्रिंग रूस में पर्याप्त संचालन के साथ कई तरीको के जरिए की जाती है।"
साइबर सिक्योरिटी एनालिस्ट ब्रायन क्रेब का जिक्र करते हुए, रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस में मध्य और हाई स्कूल से ही स्टूडेंट्स को कोडिंग ट्रेनिंग, कंप्यूटर साइंस और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी को सिखाने पर जोर दिया जाता है, इससे रूस का हैकर्स से जुडी एक लम्बी हिस्ट्री रही है। ऐसे में होसियार स्टूडेंट्स को उनके स्किलस की तुलना में कम सैलरी वाली जॉब मिलना, उनमें से कई छात्रों को साइबर क्राइम और क्रिप्टो हैकिंग की ओर भेज रहा है। Chainalysis ने बताया कि इस तरह के सिस्टम के चलते यह चौकने की बात नहीं है कि रूस ग्लोबल क्रिप्टो हैकिंग में सबसे आगे है।
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