मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन खरीदने वाले चार में से तीन लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है। यह जानकारी बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के इकोनॉमिस्ट्स की ओर से पिछले सात वर्षों में लगभग 95 देशों के क्रिप्टोकरेंसी इनवेस्टर्स के डेटा की स्टडी से मिली है।
इस स्टडी में बताया गया है कि बिटकॉइन में इनवेस्टमेंट करने वाले लगभग तीन चौथाई लोगों को नुकसान होने का अनुमान है। इस अवधि में बिटकॉइन की कीमत लगभग 250 डॉलर से बढ़कर पिछले साल नवंबर में लगभग 69,000 डॉलर के हाई स्तर पर पहुंचा था। ऐप्स के जरिए क्रिप्टोकरेंसीज खरीदने और बेचने वाले लोगों की संख्या इस अवधि में 1.19 लाख से बढ़कर लगभग 3.25 करोड़ पर पहुंच गई। स्टडी करने वाले शोधकर्ताओं ने लिखा है, "हमारे एनालिसिस से पता चलता है कि बिटकॉइन की कीमत में बढ़ोतरी इसके रिटेल इनवेस्टर्स की संख्या बढ़ने से जुड़ी है।"
स्टडी में कहा गया है कि प्राइसेज के बढ़ने पर रिटेल इनवेस्टर्स की ओर से बिटकॉइन में खरीदारी की जा रही थी, जबकि इसके व्हेल्स जैसे बड़े होल्डर्स बिकवाली कर प्रॉफिट कमा रहे थे। इसके अलावा स्टडी में पाया गया है कि क्रिप्टोकरेंसी में इनवेस्ट करने वालों में लगभग 40 प्रतिशत 35 वर्ष से कम आयु के यूजर थे। इस सेगमेंट को अधिक रिस्क लेने वाला माना जाता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिटकॉइन में काफी बिकवाली हुई है। इन्फ्लेशन के भी लगभग पीक पर पहुंचने के संकेत हैं। इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व सहित अन्य देशों के सेंट्रल बैंकों की ओर से मॉनेटरी पॉलिसी में कुछ छूट दी जा सकती है। यह क्रिप्टो मार्केट में तेजी का अगला बड़ा कारण हो सकता है। कुछ देशों में रेगुलेटर्स ने भी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर इनवेस्टर्स को चेतावनी दी है। इससे भी मार्केट पर प्रेशर बढ़ा है। कुछ क्रिप्टो फर्मों के अभाव में इस मार्केट को लेकर आशंकाएं भी बढ़ी हैं। क्रिप्टो सेगमेंट के लिए बहुत से देश कड़े कानून बनाने पर भी काम कर रहे हैं।
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